पतझड़ में जो फूल मुरझा जाते है वो बहारों के आने से खिलते नहीं,
कुछ लोग जो अक्सर बिछड़ जाते है वो हज़ारो के आने से मिलतें नहीं,
आप सब ने ये लाइन कहीं न कहीं सुनी होगी और इसे सुनकर थोड़े मायूस भी हुए होंगे,
और ये सोचा होगा कि हाँ पतझड़ में जो फूल मुरझा गए थे अब वो बहारों के आने से नहीं खिल पाएंगे,
कुछ लोग जो पीछे छूट गए है कहीं वो अब हज़ारों के आने से नहीं मिल पाएंगे,
पर अगर अभी तक आप ये सोच रहे थे ना तो आप इस सीके के बस एक पहलू के बारे में सोच रहे थे
पर हर एक सिक्के के दो पहलू होते हैं |
क्या कभी किसी ने उस दूसरे पहलू के बारे में सोचा है ?
क्या किसी ने सोचा है कि बहारों के आने से पतझड़ में मुरझाये हुए फूल तो नहीं खिल पाएंगे पर उनकी जगह पर कुछ नये फूल खिल जायेंगे,
क्या किसी ने सोचा है की हज़ारो के आने से बिछड़े हुए वो लोग तो नहीं मिल पाएंगे पर कुछ नये लोग मिल जायेंगे,
और ये भी तो हो सकता है दोस्तो की जो लोग अब मिले हैं, जो फूल अब खिले हैं वो उन पीछे छूट गए लोगो से या उन मुरझाये हुये फूलो से जयादा बेहतर हों, उनमें उन्से जयादा खुशबू हो, वो आपकी ज़िन्दगी को उनसे जयादा महका दे; आपकी ज़िन्दगी में कुछ नयी बहार ला दें,
और जिस दिन आप सब लोग इस सिक्के के इस दूसरे पहलू के बारे में सोचना शुरू कर देंगे ना
आपकी ज़िन्दगी में भी एक नयी बहार आएगी |
पतझड़ की सर्द हवाएं अगर कुछ छीन ले गयी थी आपसे तो बसंत की नम हवाएं कुछ दे कर भी जाएँगी,
आज पतझड़ है आपकी ज़िन्दगी में तो कल बहार भी आएगी,
आज पतझड़ है आपकी ज़िन्दगी में तो कल बहार भी आएगी |
Credits: Vikram Jamwal